उत्तर प्रदेश में संस्कृत भाषा को आधुनिकता की श्रेणी में लाने के लिए एक और नया अध्याय जोडऩे का प्रयास हो रहा है। अब संस्कृत के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने की तैयारी चल रही है। उप्र संस्कृत संस्थान की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति के लिए शासन की ओर से भी मंजूरी मिल चुकी है। उप्र संस्कृत संस्थान (UP Sanskrit Institute) के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि पहले संस्थान के छात्रों को समाज कल्याण विभाग की ओर से 500 रुपए तक छात्रवृत्ति दी जाती थी, जिससे उनका कोई भी भला नहीं हो पाता था।

उन्होंने बताया कि प्रदेश के 1175 संस्थानों में पढऩे वाले करीब एक लाख छात्रों को कक्षा के हिसाब से छात्रवृत्ति दी जाएगी। कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को दो हजार रुपए, नौ से 10 तक पांच हजार रुपये और 11वीं से 12वीं तक छह हजार रुपये वार्षिक छात्रवृत्ति मिलेगी। पहले चरण में एक हजार छात्रों का चयन किया जाएगा। 60 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले छात्र ही आवेदन कर सकेंगे। संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष ने कहा, हम इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कर रहे हैं। अच्छी तरह से संचालित होने के बाद इसका स्तर और बड़ा करेंगे। अगले महीने से संस्कृत विद्यालयों के माध्यम से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

डा मिश्रा ने बताया कि संस्कृत पढऩे वाले छात्रों के अंदर शुरू से ही संस्कार आते हैं जो समाज को एक नई दिशा देते हैं। इसे पढऩे वाले ज्योतिषाचार्य या कर्मकांडी या पुरोहित ही बन सकते हैं, अब इस मिथक को तोड़कर संस्कृत नए आयाम गढ़ रही है। विज्ञान की भांति संस्कृत पढ़कर भी सिविल सेवा समेत अन्य क्षेत्रों में अपनी मेधा प्रदर्शित की जा सकती है।



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