भारतवंशी-एमआईटी प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड के प्रोफेसर माइकल क्रेमर को 'व्यावहारिक रूप से गरीबी से लडऩे की हमारी क्षमता में प्रभावशाली तरीके से सुधार' के लिए अर्थशास्त्र के क्षेत्र में 2019 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह जानकारी सोमवार को दी गई। मुंबई में 1961 में जन्मे बनर्जी ने लेखन के अलावा दो डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्देशन किया है। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीचएडी की उपाधि हासिल की और वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।

बड़ी संख्या में आलेखों और किताबों के लेखक, बनर्जी ने 1981 में कोलकाता विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की, उसके बाद वह 1981 में नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल विश्वविद्यालय गए, जहां से उन्होंने 1983 में अपना एमए पूरा किया। वर्ष 1988 में उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार की घोषणा करते हुए, रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने कहा कि इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं ने वैश्विक गरीबी से लडऩे की क्षमता में बढ़ोतरी पर बेहतरीन काम किया है।

एकेडमी ने कहा, केवल दो दशकों में उनके नए प्रायोग अधारित रुख ने डवलपमेंट इकोनोमिक्स को बदल दिया है, जो कि अब रिसर्च के क्षेत्र में एक समृद्ध क्षेत्र है। साल 2003 में, उन्होंने एस्थर डुफ्लो और सेंधील मुल्लाइनाथन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (जे-पीएएल) की स्थापना की और वह लैब के निदेशकों में से एक बने रहे। बनर्जी एनबीईआर के एक रिसर्च एसोसिएट- इकोनॉमिक्स एनालाइसिस ऑफ डवलपमेंट के रिसर्च के लिए ब्यूरो के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा वह कील इंस्टीट्यूट के अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च फेलो, अमरीकन एकेडमी ऑफ आट्र्स एंड साइंसेज एंड इकोनोमेट्रिक सोसायटी के फेलो, गुग्गेनहिम फेलो और अलफ्रेड पी.सोलन फेलो रह चुके हैं और उन्हें इंफोसिस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

वह कई आलेखों और चार किताबों के लेखक रह चुके हैं, जिनमें से उनकी किताब 'पुअर इकोनोमिक्स' ने 2011 में गोल्डमैन सैश बिजनेस बुक का खिताब भी जीता था। वह इसके अलावा तीन और किताबों के लेखक हैं और दो डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्देशन किया है। साल 2011 में बनर्जी को विदेश नीति पर आधारित पत्रिका में शीर्ष 100 वैश्विक थिंकर्स में शुमार किया था। उनके रिर्सच का क्षेत्र डवलपमेंट इकोनॉमिक्स और इकोनॉमिक्स थ्योरी है।प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने बनर्जी की ऐतिहासिक सफलता पर ट्वीट किया और कहा कि वह एक शानदार कुक हैं और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के जानकार भी हैं।



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